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समाचार का फलोअप --- जस्टिस लंगोट टाइट गगोई ने कहा था कि वो राज्यसभा के सदस्य बनना क्यों स्वीकार किया यह बात मीडिया में आकर बतायेंगे. मुझे याद नहीं आ रहा है, आपको अगर याद है तो जरा बताइये कि उन्होंने कारण क्या बताया और अगर अब तक नहीं बताया है तो कब बतायेंगे..इस आदमी ने न जाने कितने फैसले लंगोट की फिटनेस देखकर कर दी होगी, और आप अदालत की अवमानना का कानून पढ़ते रह गये...बताइये ये आदमी अपने कार्यकाल में क्या न्याय किया होगा.. कितने बेगूनाहों को सजा दी होगी, कितने गुनहगारों को रिहा किया होगा..इसके हाथों हुए हर फैसले पर लोगों को संदेह है. ओह, अदालत की ऐसी हालत बना दी इस आदमी ने..अब अदालत के न्यायधीशों पर विश्वास पैदा होने में इस देश को बहुत वक्त लगेगा. और विश्वास पैदा करने की जिम्मेदारी न्यायधीशों के ऊपर और बढ़ गयी है. अदालत पर विश्वास लौटना चाहिए, मितरों लौटना चाहिए कि नहीं, लौटना चाहिए..लौटना चाहिए..लौटना चाहिए,