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Bangladesh Beat afganistan 2nd T20

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Sublog party bnayen koi baat nhi owaisi ne bnaya to bjp ki B party

 अभी थोड़ी देर पहले अभिसार शर्मा के शो की एक क्लिप देख रहा था। जिसमें अभिसार शर्मा कह रहा था।


"असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी यूपी में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान की है, इतनी सीटों पर AIMIM चुनाव कैसे लड़ रही है, ओवैसी की पार्टी की फंडिंग कौन कर रहा है इसकी जांच होनी चाहिए, AIMIM के चुनाव लड़ने से भाजपा आ जायेगी, 2017 में यूपी में बीजेपी की जीत की वजह भी असदउद्दीन ओवैसी ही थे, बला बला बला।


ये वो पत्रकार है जिनमें लोगों को ख़ासकर मुसलमानों को सबसे ज़्यादा सेक्युलरिज़्म और निष्पक्षता दिखती है। मुझे कभी ये पसंद नही रहे या ये कहें कि मुझे इनपर यक़ीन नही हो पाता। एक बात याद रखिये वो लोग जिन मीडिया गिरोह पर "गोदी मीडिया" का लेवल लगाकर सरकार का पालतू होने की बात करते हैं वो खुद भी इससे बरी नहीं हैं। हर पत्रकार यहां "गोदी एंकर" है। हिन्दोस्तान में कोई ऐसा पत्रकार नहीं जो किसी ना किसी पार्टी का पक्ष ना लेता हो, वो रवीश हो, अभिसार हो, बरखा दत्त हो, आरफ़ा ख़ानम हो, द वायर हो, द क्विंट हो XYZ कोई भी हो। सब किसी ना किसी पार्टी/सरकार की गोदी में खेले हैं, खेलते हैं और आगे भी खेलते रहेंगे।


AAP पार्टी के बनने और दिल्ली की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने पर क्या अभिसार कभी पूछा कि AAP की फंडिंग कहाँ से हुई? बिहार में जीतन राम मांझी, मुकेश साहनी पार्टी बनाये और आज उन्ही की वजह से बिहार में बीजेपी-नीतीश की सरकार चल रही है। क्या अभिसार कभी पूछा कि इनकी पार्टी की फंडिंग कहाँ से हुई? यूपी में ओम प्रकाश राजभर पार्टी बनाया बीजेपी के साथ सत्ता में शामिल रहा क्या अभिसार कभी पूछा उस पार्टी की फंडिंग कहाँ से हुई? ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं जो दिया जा सकता है।

दरअसल इन्हें मालूम है कि करना क्या है, इनकी ड्यूटी क्या है। ये चुनाव आते ही उस मुस्लिम तब्के का माइंडवॉश करने लगते हैं जिस एहसास-ए-कमतरी का शिकार मुस्लिम तब्क़ा ने बीजेपी को हराना ही अपना ईमानी फ़रीज़ा समझ लिया है। जिनका ज़िंदा रहने और सियासत करने का मक़सद ही बीजेपी को हराना है। इससे कुछ मतलब नही कि हमें क्या चाहिए, हमारी बुनियादी ज़रूरत क्या है, जिन्हें अखिलेश, राहुल, केजरीवाल, मायावती मसीहा नज़र आते हैं और असदउद्दीन ओवैसी, बदरुद्दीन अजमल, मौलाना रशादी सेक्युलरिज़्म के दुश्मन और भाजपा एजेंट लगते हैं।


आगामी चुनाव में मुद्दा बेरोज़गारी, गंगा के किनारे पड़ी सड़ी हुई हज़ारों लाशें, अस्पताल, ऑक्सीज़न से गई हज़ारों नागरिकों की जानें, बेगुनाह मुसलमानों की लिंचिंग, भुकमरी होनी चाहिए लेकिन नहीं। उधर गोदी मीडिया का मुद्दा है हिंदुत्व और इधर इन पत्रकारों का मुद्दा है मुस्लिम क़यादत और मुस्लिम समुदाय का ब्रेनवॉश करना है। ये हर चुनाव के वक़्त मुस्लिम क़यादत और मुस्लिम समुदाय को कठघड़े में खड़ा करते हैं। अभिसार शर्मा हिन्दू अक्सरियत से पूछे कि आपको अपने मुद्दे क्यों नहीं दिखते? गंगा में सड़कर बहती हज़ारों-हज़ार हिंदुओं की लाशें क्यों नहीं दिखती? आप भाजपा को वोट क्यों और किस वजह से करते हो? आप इतने मासूम क्यों हो कि कोई एक मुसलमान आपकी रूख़ को हवा की तरह मोड़ देता है? आपके दूध के दांत कब टूटेंगे? बीजेपी जो हिंदुओं के साथ ज़ुल्म-ओ-ज़्यादती कर रही है वो आपको क्यों नहीं दिखता? अरे भाई आप अपने समुदाय को रोको उन्हें समझाओ की वो भाजपा को वोट ना करें। हमारी फ़िक्र छोड़ो हमें भाजपा/संघ से डराना बन्द करो।


नहीं। सवाल इसपर नहीं होगा। अभिसार ये नही कहेगा बीजेपी को वोट देने वाला हिन्दू कट्टरपंथी है, रेडिकल है, कम्युनल है। लेकिन मुस्लिम क़यादत को वोट करने वाला मुस्लिम कट्टरपंथी है। मुस्लिम क़यादत के चुनाव लड़ने से बीजेपी आ जायेगी। मुस्लिम क़यादत की फंडिंग की जांच होनी चाहिए। बला बला बला। वही सन 65 वाला रंडी रोना।


मैं आपसे कह रहा हूँ मेरे भाई आप एक आज़ाद मुल्क में रहते हैं। आप किसी को भी वोट देने के लिये आज़ाद हैं। जिसको मर्ज़ी हो जो आपको बेहतर लगे उसको वोट कीजिए। लेकिन BJP से डरकर "फ़लाने" को वोट करने वाली सोच को त्याग दीजिए।

BJP आती है तो आए, BJP को रोकना आपका काम नही है ये काम हिन्दू अक्सरियत का है।

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