डेमोक्रेटिक पार्टी कन्वेंशन का ऑफिस, वॉशिंगटन डीसी
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17 जून 1972 की रात एक बजे, बिल्डिंग के चौकीदार ने दरवाजे पर लगा हुआ टेप देखा। साफ सफाई करने वाले कर्मचारी अक्सर ऐसे टेप लगाते थे। इससे दरवाजा लॉक नही होता था। तो टेप लगे होने में कोई विशेष बात तो नही थी।
पर थी। क्योकि चौकीदार ने शाम की सफाई के बाद लगाए टेप अपने हाथ से निकाल दिए थे। फिर से टेप लगा होने का मतलब- कोई चोर घुसा है। उसने पुलिस बुला ली।
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घुसने वाले, पहली बार इस बिल्डिंग में नही घुसे थे। दरअसल पहली बार पन्द्रह दिन पहले वे इसी तरह घुसकर देश की विपक्षी पार्टी के ऑफिस में माइक्रोफोन वगेरह फिट कर चुके थे। लेकिन प्रचार समिति अध्यक्ष के फोन में छुपाया माइक्रोफोन खराब हो गया था। वे इसे बदलने आये थे, की पुलिस ने पकड़ लिया।
शुरुआत में यह खबर मामूली थी। लेकिन जब पकड़े गए लोगो की पहचान जाहिर हुई तो चीजें दिलचस्प हो गयी। ये सभी लोग, प्रेसिडेंट की इलेक्शन कमेटी से जुड़े चाणक्यनुमा व्यक्ति के निर्देश पर ,जासूसी करने को घुसे थे। सभी पुराने सीआईए वर्कर थे।
दो युवा पत्रकार इस मामले को खोदने लगे।
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मामला कोर्ट में चलता रहा, इधर इलेक्शन कैंपेन भी। परिणाम आया, तो निक्सन दूसरी बार भारी बहुमत से जीते। शपथ ली। इधर कोर्ट में जज ने अभियुक्तों से कुछ सवाल पूछ लिए। उनसे यह भी पूछ लिया कि तुम्हारे लीगल खर्चे कौन उठा रहा है। जो नाम आया, वो प्रेसिडेंट का मुख्य चुनावी कैम्पेनर था।
जज को लगा कि मामला लम्बा है, उसने सीनेट (संसद) को इसकी विस्तृत जांच की अनुशंसा कर दी। कमेटी बैठ गयी। जांच, गवाही होने लगी। अख़बारों में खुलासे होने लगे। वुडवर्ड और बर्नस्टीन को सरकार के भीतर एक सोर्स मिल गया था। कोड नेम- डीप थ्रोट
डीप थ्रोट की लीड पर पत्रकार छानबीन करते, हेडलाइन में सवाल उठाते। सीनेट कमेटी हियरिंग में वो सवाल सांसद, पेश हुए अफसरों से पूछते। धागा खुलने लगा।
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प्रेजिडेंट निक्सन की जीत में कोई संदेह नही था। वे अपने डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी से मीलों आगे थे। उन्हें इससे संतोष नही था। लेकिन उन्हें अमेरिकन इतिहास की सबसे बडी जीत चाहिए थी। वे विपक्ष की हर चाल को पहले से जानना चाहते थे। उन्हें इंटेलिजेंस चाहिए थी, किसी भी तरीके से। वाटरगेट कांड उनकी इसी डिमांड का नतीजा था।
बचने के लिए अपने करीबी दो तीन अधिकारियों को उन्होंने बर्खास्त कर दिया। वे उल्टे अप्रूवर हो गए। निक्सन की एक अजीब आदत थी, वे अपने ही ऑफिस में छुपे माइक्रोफोन रखकर अपने आप को ही टेप करते थे। ये शायद भविष्य में अपने मेमोयर के लिए था। अप्रूवर बने साथियों ने टेप की बात खोल दी। सीनेट ने टेप मांग लिए। काफी हीले हवाले के बाद निक्सन ने टेप सौपे। उसमे कई हिस्से इरेज्ड थे।
लेकिन जो बचे थे, काफी रसदार थे। निक्सन वही आदमी हैं, जिन्होंने इंदिरा को कुतिया और बूढी डायन कहा था। पर यह उनकी भाषा थी। बहुत से अफसरों, सीनेटरों, नेताओं के खिलाफ काफी अकबक बोला था। उनकी छवि को काफी नुकसान हुआ। इधर कमेटी ने तीन क्रिमिनल बिंदुओं पर उन पर महाभियोग लगाने का प्रस्ताव पास कर दिया।
बेहद बदनाम हो चुके राष्ट्रपति के साथ अपने सीनेटर भी नही थे। महाभियोग हारना तय था।
निक्सन ने इस्तीफा दे दिया।
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हम भारतीयों को वाटरगेट का महत्व समझना बड़ा कठिन है। आखिर वाटरगेट पैसों का करप्शन नही है। यह भाई भतीजावाद, सैक्स स्केंडल, हत्या, चोरी नही है। तो इसमे क्राइम क्या है??
है... यह लोकतन्त्र से खिलवाड़ का सिंबल है। ये पावर के एब्यूज का सिंबल है। ये न्याय को रोकने और जनमत को बेजा तरीको से प्रभावित करने का सिंबल है।
पैसे, लड़की, हत्या चोरी जैसे छोटे मोटे अपराध से ऊपर, बड़ा अपराध है, जो एक प्रजातांत्रिक देश मे चुना गया लीडर प्रजातंत्र के विरुद्ध कर सकता है। आप लोकतन्त्र की परिभाषा समझते हैं, उसे लेकर गम्भीर हैं, तो ये किसी लोकतांत्रिक देश मे कार्डिनल क्राइम है।
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विपक्ष की जासूसी हमारे यहां भी हुई है। मीडिया रिपोर्टरों और संवेधानिक पदों पर बैठे लोगों की भी हुई है। ये देश की सुरक्षा की अभिवृद्धि के लिए की गई जासूसी नही है। ये सत्ताधारी पार्टी के फायदे नुकसान के मद्देनजर बुना गया धोखेबाजी, झूठ का जाल है।
संवेधानिक व्यक्तियों अनसेंक्शन, गैरसरकारी जासूसी यदि आप करें, तो सेडिशन और ट्रेजन की धाराएं लगेंगी। पेगासस कम्पनी कहती है, की उसने सरकारो को ही ये सॉफ्टवेयर बेचा है। सरकार कहती है, शायद किसी निजी निकाय ने यह काम किया है। बेशर्म प्रवक्ता कहते है, की 30 देशों में जासूसी हुई, तो हमी से सवाल क्यों??
अरे जनाब, हम बाकी के 29 देशों में नही रहते।
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हमे पता है कि पुलवामा की तरह इस केस में भी कोई पकड़ा नही जाएगा। यह इस सरकार की लेगेसी है। निक्सन 27 साल से पोलिटीशयन थे। सफल थे, गवर्नर हुए, दो बार प्रेजिडेंट हुए। वियतनाम युध्द खत्म किया। कई और अच्छे फैसले भी लिए।
लेकिन उनके कॅरियर की लेगेसी सिर्फ एक शब्द में याद रखी जाती है- "वाटरगेट"।
इस सरकार की लेगेसी भी एक शब्द में याद रखी जायेगी
"निर्लज्जता"
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