Skip to main content

Bangladesh Beat afganistan 2nd T20

                        Click Here to Watch https://www.highwaycpmrevenue.com/x5kefn70?key=4bc6fa2e82553dee6cc7b4742a9427df

दीवालिया मामले को निपटाने में भारत की मोदी सरकार ने दुनिया के सामने एक ऐसा उदाहरण पेश करने जा रही है

 दीवालिया मामले को निपटाने में भारत की मोदी सरकार ने दुनिया के सामने एक ऐसा उदाहरण पेश करने जा रही है जिसकी अन्यत्र मिसाल मिलना मुश्किल ही नही बल्कि असम्भव है........


क्या आप यकीन कर सकते हैं कि देश की बड़ी बड़ी बैंक 4863 करोड़ रु. का लोन मात्र 323 करोड़ रुपये में सेटल कर सकती है !.....आप कहेंगे कि इसमे कौन सी बड़ी बात है कुछ ही दिन पहले वीडियोकॉन वाले मामले में तो इससे कही ज्यादा बड़ी रकम सेटल की गयी है लेकिन यह मामला बहुत अलग है यह दुनिया के विरले मामलो में से एक है जहाँ बैंकों ने यह सेटलमेंट उस लोन को डुबोने वाले आदमी के साथ किया है .....


ओर सरल शब्दों में समझिए कि एक इंडस्ट्रियलिस्ट है वह धीरे धीरे करके बैंको से पाँच हजार करोड़ लोन लेता है जब चुकाने की बारी आती है तो वह साफ नकर जाता है मजबूरन बैंको को मामला दीवालिया अदालत में ले जाना पड़ता है....... अब वह इंडस्ट्रियलिस्ट.कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही वापस लेने और बकाये के सभी दावों को खत्म करने के लिए बैंकों को 500 करोड़ रुपये की पेशकश करता है......

इस केस में सबसे बड़ा कमाल यह है कि बैंको का कंसोर्टियम उस इंडस्ट्रियलिस्ट का वह ऑफर मान गया है..... और कर्ज देने वाला लीड बैंक समेत एक को छोड़कर अन्य सभी बैंक 323 करोड़ रुपये के ऑफर पर अदालत के बाहर मामले को सुलझाने के लिए सहमत हो गए है...….

हम बात कर रहे हैं शिवा इंडस्ट्रीज एंड होल्डिंग्स लिमिटेड के मालिक चेन्नई के बिजनेसमैन सी शिवरशंकन की.....इस ग्रुप होल्डिंग कंपनी के खिलाफ दिवालिया अदालत में कार्यवाही चल रही थी शिवा इंडस्ट्रीज एंड होल्डिंग्स पर लेंडर्स का लगभग 4863 करोड़ रुपये बकाया है. लेकिन अब बैंक शिवा इंडस्ट्रीज के प्रमोटरों के वन-टाइम सेटलमेंट (OTS) ऑफर को स्वीकार करके 4863 करोड़ रु. का लोन 323 करोड़ रुपये में खत्म करने पर सहमत हो गए हैं, आईडीबीआई बैंक इसमे प्रमुख ऋणदाता है, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, एलआईसी, पीएनबी भी इस लोन केस को निपटाने के लिए सहमत हुए हैं. लेकिन CoC मेंबर और देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने सेटलमेंट प्रपोजल के खिलाफ वोटिंग की है. 

सबसे बड़ी बात यह है कि बैंकों द्वारा स्वीकार की गई सेटलमेंट राशि शिवा इंडस्ट्रीज और होल्डिंग्स के परिसमापन मूल्य यानी liquidation value से भी कम है........

दिवालिया मामलों के जानकार कह रहे हैं कि यह अनोखा मामला है बैंक पहले प्रमोटरों के इस तरह के ऑफर को ठुकराते आए हैं। वीडियोकॉन वाले मामले में धूत ने 15 साल में लगभग 30 हजार करोड़ देने प्रस्ताव दिया था लेकिन उसे ठुकरा कर वेदांता की ट्विन स्टार की one time सेटलमेंट 2,962 करोड़ की बोली को अनुमति दे दी गई.....यानी यह एक गलत परम्परा की शुरुआत होने जा रही है

ऐसा होना लगभग असंभव है कि किसी कंपनी के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू होने बाद बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन मामले को निपटाने के लिए प्रमोटर्स के ऑफर को स्वीकार करें!.....

बैंको के इस प्रस्ताव पर नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मंजूरी का इंतजार है। अगर ट्रिब्यूनल ने यह मंजूर कर लिया तो समझिए कि पूरी दीवालिया प्रक्रिया पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा हो जाएगा !......

आप ही सोचिए कि क्या आपसे 5 लाख लेकर बैंक आपके 50 लाख के होम लोन को सेटल कर सकता है यह कहकर कि आपके मकान की बोली लगाने कोई नही आया तो आप 5 लाख दो और कर्ज़ मुक्त हो जाओ ? क्या सारे कायदे कानून आम जनता के लिए है ?

आखिर सी शिवरशंकन में ऐसा क्या खास है जो उसे यह विशेष सुविधा दी जा रही है .जब आप यह जानेंगे तो आपके आश्चर्य की सीमा नही रहेगी क्योकि सी शिवशंकरन देश का सबसे बड़े घोटाले 2G के अहम किरदार रह चुके हैं इस पर डिटेल रिपोर्ट अगली पोस्ट में.

Comments

Popular posts from this blog

There is not a single Muslim name in the advisory council of the Minority Welfare Department.

There is not a single Muslim name in the advisory council of the Minority Welfare Jharkhand Government. Can anyone find a single muslim name in this list

Troops after losing 20 years of war, return from Afghanistan

 According to the news agency AP, almost all Europeans  Troops after losing 20 years of war, return from Afghanistan  have done  Let us tell you that after America, in Afghanistan  Germany's largest army under NATO Etehad  Had landed, he too went to eat his mouth, went to Italy &  Poland also lost back  Of course, the fate of Islam is Allahu Akbar.

डिजिटल न्यूज़ वेबसाइट के लिए आचार संहिता

  डिजिटल न्यूज़ वेबसाइट के लिए आचार संहिता डिजिटल न्यूज़ पब्लिशर्स एसोसिएशन ने स्वेच्छा से अपने सदस्यों के लिए आचार संहिता तैयार की है, जो नीचे दी गई है, और जो ज़िम्मेदार डिजिटल पब्लिशिंग के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दर्शाती है. यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (अ) द्वारा दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दूसरी संवैधानिक स्वतंत्रताओं की रक्षा करने के साथ ही समाचार, समसामयिकी और अन्य कॉन्टेंट के वितरण या प्रसारण पर रोक लगाने वाली घटनाओं पर भी पुनर्विचार और समीक्षा करती है. इस संहिता का लक्ष्य डिजिटल न्यूज़ पब्लिशिंग में उच्च मानदंड और नैतिक मूल्यों को स्थापित करना है, और यह न्यूज़ पब्लिशर्स के रोज़मर्रा के कामकाज में दखल देने की कोशिश नहीं है, जो संपादकीय और कॉन्टेंट चयन के लिहाज़ से पूरी तरह स्वतंत्र हैं. इस आचार संहिता का बुनियादी मकसद डिजिटल पब्लिशिंग के मानदंडों को बनाए रखना है, और साथ ही पत्रकारों और पब्लिशर्स की स्वतंत्रता की रक्षा करना भी है. डिजिटल न्यूज़ वेबसाइट भारतीय संविधान तथा यहां के सभी कानूनों का पालन करती हैं. साथ ही साथ मीडिया उद्योग से जुड़े 30 से ज़्यादा कानूनों...