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दीवालिया मामले को निपटाने में भारत की मोदी सरकार ने दुनिया के सामने एक ऐसा उदाहरण पेश करने जा रही है
दीवालिया मामले को निपटाने में भारत की मोदी सरकार ने दुनिया के सामने एक ऐसा उदाहरण पेश करने जा रही है जिसकी अन्यत्र मिसाल मिलना मुश्किल ही नही बल्कि असम्भव है........
क्या आप यकीन कर सकते हैं कि देश की बड़ी बड़ी बैंक 4863 करोड़ रु. का लोन मात्र 323 करोड़ रुपये में सेटल कर सकती है !.....आप कहेंगे कि इसमे कौन सी बड़ी बात है कुछ ही दिन पहले वीडियोकॉन वाले मामले में तो इससे कही ज्यादा बड़ी रकम सेटल की गयी है लेकिन यह मामला बहुत अलग है यह दुनिया के विरले मामलो में से एक है जहाँ बैंकों ने यह सेटलमेंट उस लोन को डुबोने वाले आदमी के साथ किया है .....
ओर सरल शब्दों में समझिए कि एक इंडस्ट्रियलिस्ट है वह धीरे धीरे करके बैंको से पाँच हजार करोड़ लोन लेता है जब चुकाने की बारी आती है तो वह साफ नकर जाता है मजबूरन बैंको को मामला दीवालिया अदालत में ले जाना पड़ता है....... अब वह इंडस्ट्रियलिस्ट.कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही वापस लेने और बकाये के सभी दावों को खत्म करने के लिए बैंकों को 500 करोड़ रुपये की पेशकश करता है......
इस केस में सबसे बड़ा कमाल यह है कि बैंको का कंसोर्टियम उस इंडस्ट्रियलिस्ट का वह ऑफर मान गया है..... और कर्ज देने वाला लीड बैंक समेत एक को छोड़कर अन्य सभी बैंक 323 करोड़ रुपये के ऑफर पर अदालत के बाहर मामले को सुलझाने के लिए सहमत हो गए है...….
हम बात कर रहे हैं शिवा इंडस्ट्रीज एंड होल्डिंग्स लिमिटेड के मालिक चेन्नई के बिजनेसमैन सी शिवरशंकन की.....इस ग्रुप होल्डिंग कंपनी के खिलाफ दिवालिया अदालत में कार्यवाही चल रही थी शिवा इंडस्ट्रीज एंड होल्डिंग्स पर लेंडर्स का लगभग 4863 करोड़ रुपये बकाया है. लेकिन अब बैंक शिवा इंडस्ट्रीज के प्रमोटरों के वन-टाइम सेटलमेंट (OTS) ऑफर को स्वीकार करके 4863 करोड़ रु. का लोन 323 करोड़ रुपये में खत्म करने पर सहमत हो गए हैं, आईडीबीआई बैंक इसमे प्रमुख ऋणदाता है, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, एलआईसी, पीएनबी भी इस लोन केस को निपटाने के लिए सहमत हुए हैं. लेकिन CoC मेंबर और देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने सेटलमेंट प्रपोजल के खिलाफ वोटिंग की है.
सबसे बड़ी बात यह है कि बैंकों द्वारा स्वीकार की गई सेटलमेंट राशि शिवा इंडस्ट्रीज और होल्डिंग्स के परिसमापन मूल्य यानी liquidation value से भी कम है........
दिवालिया मामलों के जानकार कह रहे हैं कि यह अनोखा मामला है बैंक पहले प्रमोटरों के इस तरह के ऑफर को ठुकराते आए हैं। वीडियोकॉन वाले मामले में धूत ने 15 साल में लगभग 30 हजार करोड़ देने प्रस्ताव दिया था लेकिन उसे ठुकरा कर वेदांता की ट्विन स्टार की one time सेटलमेंट 2,962 करोड़ की बोली को अनुमति दे दी गई.....यानी यह एक गलत परम्परा की शुरुआत होने जा रही है
ऐसा होना लगभग असंभव है कि किसी कंपनी के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू होने बाद बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन मामले को निपटाने के लिए प्रमोटर्स के ऑफर को स्वीकार करें!.....
बैंको के इस प्रस्ताव पर नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मंजूरी का इंतजार है। अगर ट्रिब्यूनल ने यह मंजूर कर लिया तो समझिए कि पूरी दीवालिया प्रक्रिया पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा हो जाएगा !......
आप ही सोचिए कि क्या आपसे 5 लाख लेकर बैंक आपके 50 लाख के होम लोन को सेटल कर सकता है यह कहकर कि आपके मकान की बोली लगाने कोई नही आया तो आप 5 लाख दो और कर्ज़ मुक्त हो जाओ ? क्या सारे कायदे कानून आम जनता के लिए है ?
आखिर सी शिवरशंकन में ऐसा क्या खास है जो उसे यह विशेष सुविधा दी जा रही है .जब आप यह जानेंगे तो आपके आश्चर्य की सीमा नही रहेगी क्योकि सी शिवशंकरन देश का सबसे बड़े घोटाले 2G के अहम किरदार रह चुके हैं इस पर डिटेल रिपोर्ट अगली पोस्ट में.
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